दो किनारे

दो किनारे

चल रहे हैं बस नदिया के धारे
तुम उस किनारे हम इस किनारे
जानते हैं कभी न मिलेंगे फिर भी
हम तुम्हारे सहारे तुम हमारे सहारे।

भले पुल बना लो जोड़ दो जिंदगी को
फिर भी चलना तो होगा यूंही इस सफर में
तेरे साथ तेरी, मेरे साथ मेरी मजबूरियां हैं
ना तुम इस पार आना न मुझको बुलाना।

बस यूंही फासलों से वादे निभाना, न तुम छोड़ जाना
और उम्मीद करना कभी मिल भी जाएं
वक्त की नदी शायद एक दिन तो सागर में होगी
उस विस्तार में न कोई छोर होगा न कोई और होगा।

तब हम तुम मिलेंगे, संग दो चार सांसे ले भी लेंगे
फिर उसी खारे पानी में है हमको समाना
तुमसे मिलके फिर नया एक जहां है बसाना
ये संगम दो रूहों का ही होगा, जिस्म खतम होंगे,
नए सिरे से फिर नाते जुड़ेंगे, फिर जुदा हम न होंगे।।

आभार – नवीन पहल – १९.०४.२०२२ 🌹💐🙏👍

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9 Comments

Swati chourasia

20-Apr-2022 04:14 PM

Very beautiful 👌

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Shrishti pandey

20-Apr-2022 03:09 PM

Nice one

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Swati Sharma

20-Apr-2022 12:05 PM

Excellent

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